क्या आपने कभी सोचा है कि क्या सूरज से बारिश हो सकती है? यह अजीब लगता है, लेकिन यह सच है। हालाँकि, यह बारिश पानी नहीं, बल्कि गर्म प्लाज्मा है। इस अनोखी घटना को सौर वर्षा या कोरोनल वर्षा कहा जाता है। वैज्ञानिक आख़िरकार यह समझ गए हैं कि सूर्य पर यह बारिश कैसे और क्यों होती है।
सूर्य की सौर वर्षा क्या है?
सूर्य की बाहरी परत, जिसे कोरोना कहा जाता है, अत्यधिक गर्म होती है। इसका तापमान लाखों डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है। हालाँकि, इस गर्मी में कभी-कभी ठंडी, घनी हवा (प्लाज्मा) के टुकड़े बन जाते हैं। ये टुकड़े सूरज की सतह पर तो नीचे गिरते हैं, मानो बादलों से धरती पर बरस रहे हों। इस घटना को सौर वर्षा कहा जाता है।
ये पहेली दशकों से उलझी हुई थी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सालों से वैज्ञानिक इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि सूरज की इस गर्म परत में प्लाज्मा इतना जल्दी कैसे ठंडा हो जाता है। पुराने मॉडलों ने सुझाव दिया कि ठंडक और बारिश की प्रक्रिया में घंटों या दिनों का समय लगता है। हालाँकि, सौर ज्वालाएँ, सूर्य से विकिरण और गंभीर ऊर्जा विस्फोट, मिनटों में होते हैं। तो, यह बारिश इतनी तेजी से कैसे हो जाती है? यह प्रश्न वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य था।
लौह जैसे तत्व सौर मौसम में बदलते हैं
वैज्ञानिक ल्यूक बेनाविट्ज़ और जेफरी रीप ने इसका उत्तर खोज लिया है। अपने नए शोध में उन्होंने पाया कि सूर्य की बाहरी परत में तत्व की प्रचुरता स्थिर नहीं है, बल्कि समय-समय पर बदलती रहती है। भारी तत्व, जैसे लोहे की मात्रा में छोटे परिवर्तन, प्लाज्मा को जल्दी ठंडा कर देते हैं और घनी बूंदों में गिर जाते हैं। इसका मतलब यह है कि यह सौर वर्षा वास्तव में रासायनिक परिवर्तनों का परिणाम है।
सूर्य की ऊर्जा, तापमान और चुंबकीय गतिविधि पर भी असर पड़ता है
इस शोध ने वैज्ञानिकों के पिछले मॉडल को पूरी तरह से बदल दिया है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि सूर्य की बाहरी परत कोरोना रासायनिक रूप से स्थिर नहीं है बल्कि लगातार बदलती रहती है। यह परिवर्तन सूर्य की ऊर्जा, तापमान और चुंबकीय गतिविधि को भी प्रभावित करता है।
इसका असर पृथ्वी पर भी पड़ेगा
सूर्य की गतिविधि का प्रभाव न केवल अंतरिक्ष में बल्कि पृथ्वी पर भी पहुँचता है। जब सूर्य बड़ी मात्रा में ऊर्जा या विकिरण उत्सर्जित करता है, तो यह अंतरिक्ष के मौसम का कारण बनता है, जो उपग्रहों, मोबाइल नेटवर्क और पावर ग्रिड को प्रभावित कर सकता है। हालाँकि, वैज्ञानिकों को अब पता चल गया है कि सूर्य की पपड़ी में कौन से तत्व और कैसे बदलते हैं, वे भविष्य में मौसम की भविष्यवाणी करने में सक्षम होंगे।
वैज्ञानिकों की राय
शोधकर्ता जेफरी रिप कहते हैं, हम सूर्य की गर्मी को उसके शीतलन पैटर्न से समझते हैं। यदि हम तत्वों की मात्रा की गलत गणना करते हैं, तो हमारी गणना गलत हो जाती है। यह खोज हमें सूर्य की गर्मी और ऊर्जा को नए तरीके से समझने में मदद करेगी।