समझौते का उद्देश्य मध्य पूर्वी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना और अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए नए व्यापार मार्ग खोजना है।
शुल्क-मुक्त निर्यात प्रदान करने की पेशकश
भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि ओमान ने अपने 98% से अधिक सामानों पर भारत को शुल्क-मुक्त निर्यात प्रदान करने की पेशकश की है। इसमें रत्न और आभूषण, कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल जैसे लगभग सभी भारतीय निर्यात शामिल हैं। बदले में, भारत अपने लगभग 78% सामानों पर टैरिफ कम करेगा, जिससे ओमान से मूल्य के हिसाब से लगभग 95% आयात में राहत मिलेगी। भारत और ओमान के बीच सालाना 10 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार होता है।
इस साल भारत की दूसरी बड़ी डील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओमान में अपने संबोधन में कहा कि यह समझौता हमारे व्यापार को नई गति देगा, निवेश का विश्वास बढ़ाएगा और कई क्षेत्रों में नए अवसर खोलेगा। यह डील यूनाइटेड किंगडम के साथ डील के बाद इस साल भारत की दूसरी बड़ी डील है। इससे भारतीय सामानों को नए बाजारों तक पहुंचने में मदद मिलेगी, खासकर जब निर्यातकों को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सख्त टैरिफ के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
2006 के बाद ओमान का पहला द्विपक्षीय समझौता
2006 में अमेरिका के साथ समझौते के बाद यह ओमान का पहला ऐसा समझौता है। वार्ता विफल होने के बाद, ट्रम्प ने अगस्त के अंत में भारतीय सामानों पर टैरिफ 50% तक बढ़ा दिया, जो दुनिया में सबसे अधिक है। इसमें रूस से भारत की तेल खरीद पर लगाया गया 25% अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। बातचीत के बावजूद, भारत इस साल अमेरिका या यूरोपीय संघ के साथ किसी समझौते पर पहुंचने में विफल रहा, जैसा कि शुरू में योजना बनाई गई थी।
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