अफ्रीकी देश इथियोपिया में हजारों साल से निष्क्रिय पड़ा शक्तिशाली ज्वालामुखी ‘हायली गुबी’ करीब 10 से 12 हजार साल बाद अचानक विस्फोट के साथ फूट पड़ा है। इस भयावह प्राकृतिक घटना का असर सिर्फ अफ्रीका तक ही सीमित नहीं है, इसकी राख के बादल अब हजारों किलोमीटर का सफर तय करके भारत और खासकर गुजरात के हवाई क्षेत्र तक पहुंचने की संभावना है।
गुजरात और भारत पर प्रभाव इथियोपिया में ज्वालामुखियों का प्रभाव
ज्वालामुखी से राख और जहरीली गैसों का एक बड़ा गुबार 15,000 फीट से 45,000 फीट की ऊंचाई पर 100-120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भारत की ओर बढ़ रहा है। पूर्वानुमान के अनुसार, यह राख का बादल आज रात तक अरब सागर को पार करके गुजरात (विशेषकर पश्चिमी और वडोदरा की ओर के हिस्सों) में प्रवेश करने की संभावना है।
उड़ान सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं
राख से निकलने वाले महीन कांच और चट्टान के कण विमान के इंजन के लिए बेहद खतरनाक हैं, जिसके कारण दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और अन्य शहरों में उड़ान सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। दिल्ली से हांगकांग और फ्रैंकफर्ट जैसी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के रूट भी डायवर्ट करने पड़े हैं.
विश्व स्तर पर जलवायु और वायु परिवहन पर एक बड़ी चुनौती
इस राख के बादल के कारण गुजरात के वायुमंडल में प्रदूषण का स्तर बढ़ने और दृश्यता कम होने की संभावना है, जिसके कारण लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। यह घटना वैश्विक स्तर पर मौसम और वायु परिवहन के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर रही है और भारतीय मौसम विज्ञान एजेंसियां इस राख के बादल की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही हैं।
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