तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और उससे जुड़े आतंकवादी संगठनों की अब अफगानिस्तान की सीमा से लगे खैबर पख्तूनख्वा के कई जिलों में मजबूत पकड़ है।
खुलेआम चौकियां स्थापित कीं
खैबर, कुर्रम, उत्तरी और दक्षिणी वजीरिस्तान और बाजौर जैसे इलाके पाकिस्तानी सेना के लिए नो-गो जोन बन गए हैं। टीटीपी ने इन इलाकों में खुलेआम चौकियां स्थापित की हैं। जहां उनके लड़ाके वाहनों की जांच कर रहे हैं और लोगों के पहचान पत्र की जांच कर रहे हैं। पेशावर-खैबर रोड, हंगुर-खुर्रम कॉरिडोर और बन्नू-डेरा इस्माइल खान जैसे मार्गों पर लड़ाके सक्रिय हैं।
आसिम मुनीर के लिए खुली चुनौती
टीटीपी का यह कदम पाकिस्तानी सरकार और सेना प्रमुख असीम मुनीर के लिए खुली चुनौती है। खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि टीटीपी अब अपना आधार अपने पारंपरिक पहाड़ी और ग्रामीण इलाकों से लेकर पेशावर के बाहरी इलाके तक बढ़ा रहा है। रिपोर्टों से पता चलता है कि टीटीपी नेटवर्क बडाबेर, मट्टानी और बारा रोड इलाकों में सक्रिय है। जहां वे फंड इकट्ठा कर रहे हैं. हथियार जमा करना और नई भर्ती अभियान चलाना।
अफगानिस्तान में तालिबान की कार्रवाई
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा की स्थिति 2021 से पहले अफगानिस्तान में तालिबान की कार्रवाई के समान है। इसी तरह, टीटीपी ग्रामीण इलाकों में पकड़ बना रहा है और धीरे-धीरे शहरी इलाकों में विस्तार कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि हताहतों की बढ़ती संख्या और टीटीपी के प्रति जनजातीय आबादी के झुकाव के कारण पाकिस्तानी सेना के जवान अब इन घनी आबादी वाले क्षेत्रों में कार्रवाई करने से झिझक रहे हैं।