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चीन ने रविवार को अपने लीजन-1 Y8 वाहक रॉकेट का उपयोग करके पाकिस्तान के रिमोट सेंसिंग उपग्रह PRSS-2 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में लॉन्च किया। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, रॉकेट को बीजिंग समयानुसार सुबह 11:33 बजे उत्तर पश्चिम चीन के कमर्शियल एयरोस्पेस इनोवेशन पायलट जोन से लॉन्च किया गया। ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि मिशन तीन उपग्रहों को ले गया: पाकिस्तान रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट (PRSS-2), AIRSAT-03 और AIRSAT-04। चीन की शिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक, प्रक्षेपण पूरी तरह सफल रहा और सभी उपग्रह अपनी निर्धारित कक्षाओं में पहुंच गए हैं। यह चीन और पाकिस्तान के बीच अंतरिक्ष सहयोग में नवीनतम और सबसे महत्वपूर्ण कदम है। यह उपग्रह पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अभी तक उसके पास अपना खुफिया आधारित जासूसी उपग्रह नहीं था।
चीन ने लॉन्च किया पाकिस्तान का जासूसी सैटेलाइट
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, पीआरएसएस-2 पाकिस्तान का अत्याधुनिक रिमोट-सेंसिंग उपग्रह है, जिसे चीन द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है। उपग्रह में उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग क्षमताएं हैं और यह पृथ्वी की सतह से 1 मीटर से कम रिज़ॉल्यूशन पर डेटा कैप्चर कर सकता है। इसका उपयोग कृषि, शहरी नियोजन, पर्यावरण निगरानी, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन और संरक्षण निगरानी के लिए किया जा सकता है। PRSS-2 को पाकिस्तान के पहले उपग्रह, PRSS-1 (2018 में लॉन्च) का उत्तराधिकारी माना जाता है। ग्लोबल टाइम्स ने रक्षा विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि उपग्रह पाकिस्तान की अंतरिक्ष-आधारित खुफिया और सीमा निगरानी क्षमताओं को मजबूत करेगा, जो भारत और दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है।
पीआरएसएस-2 पाकिस्तान का अत्याधुनिक रिमोट-सेंसिंग उपग्रह है
इस परीक्षण के माध्यम से चीन का लक्ष्य न केवल पाकिस्तान पर अपनी निगरानी क्षमता को बढ़ाना है, बल्कि अपनी वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्षेत्र की क्षमताओं का प्रदर्शन भी करना है। चीन की CAS स्पेस कंपनी द्वारा विकसित लीजन-1 Y8, एक ठोस-ईंधन रॉकेट है जो लगभग 1,500 किलोग्राम के पेलोड को 700 किमी सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा (SSO) में रख सकता है। इस रॉकेट की अनूठी विशेषताओं में इसकी कम लागत और तेजी से लॉन्च की तैयारी शामिल है, जो इसे छोटे और मध्यम आकार के उपग्रह मिशनों के लिए आदर्श बनाती है। लीजन-1 श्रृंखला को चीन की “नई अंतरिक्ष” नीति के हिस्से के रूप में डिजाइन किया गया है, जिसका उद्देश्य सरकारी और वाणिज्यिक उपग्रह कार्यक्रमों को एक साथ आगे बढ़ाना है। जहां तक भारत की बात है तो चिंता का कोई कारण नहीं है, क्योंकि चीन पहले से ही पाकिस्तान को निगरानी सहायता प्रदान करता है।