लो किराए के लिए मजबूत पति कहें? पढ़ें ये खास स्टोरी

Neha Gupta
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आज सचमुच समय बदल गया है। कभी पुरुषों का वर्चस्व माना जाता था, लेकिन आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। ऐसी ही बदलती दुनिया से एक ऐसी अद्भुत और थोड़ी चौंकाने वाली बात सामने आई है, जिसे पढ़कर आप भी हैरान रह जाएंगे। हम आमतौर पर घर, दुकानें, कार या कपड़े किराए पर लेते हैं, लेकिन अब एक देश में पति भी किराए पर लिए जाते हैं!

जहां पति प्यार के लिए नहीं बल्कि काम के लिए आता है

यूरोप का एक छोटा लेकिन अनोखा देश लातविया इन दिनों चर्चा में है। यहां महिलाओं की संख्या पुरुषों से इतनी अधिक है कि कई महिलाओं ने घर के काम के लिए “किराए के पतियों” को रखना शुरू कर दिया है। इस पति को किसी रोमांटिक रिश्ते के लिए नहीं बल्कि कुछ समय के लिए घर के कामों के लिए बुलाया जाता है। चाहे पाइप से पानी टपकाना हो, पर्दे लटकाना हो, अलमारी की बढ़ईगीरी हो या दीवार पर टीवी फिट करना हो, लातविया में अब इन सभी कार्यों के लिए “एक घंटे के लिए पति” उपलब्ध है।

एक घंटे के लिए पति – एक क्लिक में मौजूद

रिपोर्ट्स के मुताबिक, लातविया में कई कंपनियां ऐसी सेवाएं देती हैं, जहां तकनीकी और घरेलू मरम्मत के लिए प्रशिक्षित आदमी उपलब्ध होते हैं। महिलाएं फोन या ऑनलाइन बुकिंग द्वारा “हसबैंड फॉर ए आवर” ऑर्डर कर सकती हैं और केवल 60 मिनट में किसी विशेषज्ञ द्वारा काम पर पहुंच सकती हैं। प्लंबिंग, पेंटिंग, बिजली का काम या छोटे-मोटे घरेलू काम शुल्क देकर किए जा सकते हैं। लातवियाई लोग कहते हैं, “इसमें कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन देश में संतुलन बनाए रखने के लिए कुछ और पुरुष होने चाहिए। बात करना और फ़्लर्ट करना मज़ेदार है।”

यह प्रवृत्ति कैसे उत्पन्न हुई?

समय के साथ लातविया में विवाह दर कम हो गई, पुरुषों की संख्या कम हो गई और महिलाओं की ज़िम्मेदारी बढ़ गई। अकेले रहने वाली महिलाओं के लिए घर का कामकाज संभालना मुश्किल हो गया। परिणामस्वरूप, परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा किया जाने वाला कार्य अब एक पेशेवर सेवा के रूप में सामने आया। इससे “एक घंटे के लिए पति” जैसी अनूठी सेवाओं का जन्म हुआ। आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं

लातविया के केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार,

  • 18 वर्ष से ऊपर की केवल 44.6% आबादी विवाहित है
  • 15.6% लोग तलाकशुदा हैं
  • और 29.6% लोग सिंगल हैं

इसका सीधा मतलब यह है कि देश में बड़ी संख्या में महिलाएं अकेली रह रही हैं और रोजमर्रा की जिंदगी के लिए अस्थायी पति रखना अब आम बात होती जा रही है।

पुरुषों के लिए चिंताजनक स्थिति

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 80% से अधिक आत्महत्याएं पुरुषों द्वारा की जाती हैं। महिलाएं पुरुषों की तुलना में औसतन 11 साल अधिक जीवित रहती हैं। देश की औसत जीवन प्रत्याशा भी लगभग 44.1 वर्ष बताई जाती है। लातविया का यह उदाहरण दिखाता है कि समाज कैसे बदल रहा है। यहां “पति” सिर्फ एक रिश्ता नहीं, बल्कि एक सेवा बन गया है। प्रेम, विवाह और परिवार की पारंपरिक परिभाषाओं को चुनौती देता यह चलन आज दुनिया भर में बहस का केंद्र बनता जा रहा है।

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