भारत और रूस ईएमसी और एनएसआर विकसित कर व्यापार बढ़ाना चाहते हैं।
भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारी
आइस क्लास जहाज निर्माण, आइसब्रेकर और आर्कटिक प्रशिक्षण में भाग लेगा। यह सहयोग 2030 तक 100 अरब डॉलर के व्यापार लक्ष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रूस के मैरीटाइम बोर्ड के अध्यक्ष और राष्ट्रपति पुतिन के सहयोगी निकोलाई पेत्रुशेव ने 18 नवंबर को पीएम मोदी से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि यह यात्रा अगले महीने दिल्ली में होने वाले 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों का हिस्सा है।
समुद्री क्षेत्र में बड़े आम सहमति समझौते की संभावना
इस मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग, कनेक्टिविटी, कौशल विकास, जहाज निर्माण और नीली अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक चर्चा हुई. इससे साफ है कि भारत और रूस अगले सम्मेलन में समुद्री क्षेत्र में बड़ा समझौता कर सकते हैं. भारत ने रूस को 2023 में भारत में गैर-परमाणु आइसब्रेकर बनाने का प्रस्ताव दिया।
पूर्वी समुद्री गलियारा और उत्तरी समुद्री मार्ग
दोनों देश लंबे समय से पूर्वी समुद्री गलियारा और उत्तरी समुद्री मार्ग विकसित करने की योजना बना रहे हैं। इसके तहत बंदरगाह जहाज निर्माण और विशेष रूप से बर्फ श्रेणी के टैंकरों में निवेश करेगा। ये जहाज बर्फीले पानी में तेल और अन्य सामान सुरक्षित रूप से ले जाने में सक्षम होंगे। साथ ही, भारत आर्कटिक महासागर में नौकायन के लिए अपने समुद्री कर्मियों को प्रशिक्षित करेगा।