मेक्सिको द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50 फीसदी तक टैरिफ बढ़ाने के फैसले के बाद भारत सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. सरकार ने कहा है कि वह भारतीय निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक निर्णय लेने का अधिकार सुरक्षित रखती है। एक सरकारी अधिकारी ने शनिवार को कहा, भारत भारतीय निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है, साथ ही बातचीत से समाधान तलाशना भी जारी रखता है। यह फैसला पूरी तरह से एकतरफा है.
दोनों देशों के लिए एक जीत-जीत समाधान
एक भारतीय अधिकारी के मुताबिक, बिल के शुरुआती प्रस्ताव के बाद से ही भारत ने मेक्सिको के साथ बातचीत शुरू कर दी थी. वाणिज्य विभाग वैश्विक व्यापार नियमों के अनुसार पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधान खोजने के लिए मेक्सिको के अर्थव्यवस्था मंत्रालय के संपर्क में है। इस संबंध में वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल और मेक्सिको के उप अर्थव्यवस्था मंत्री लुइस रोसेन्डो के बीच एक उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है. आगे भी संवाद करने की योजना है. भारत सरकार ने कहा कि बिना किसी पूर्व चर्चा के मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) टैरिफ को एकतरफा बढ़ाना दोनों देशों के सहकारी आर्थिक संबंधों की सुरक्षा के खिलाफ है।
दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हुई
भारत और मेक्सिको मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत शुरू करने की भी योजना बना रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एफटीए भारतीय कंपनियों को इन टैरिफ से राहत दे सकता है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब वैश्विक व्यापार में टैरिफ युद्ध चल रहा है। मेक्सिको का यह कदम घरेलू उद्योग को मजबूत करने और राजस्व बढ़ाने के लिए है, लेकिन इससे कीमतें बढ़ने की संभावना है
भारतीय ऑटोमोबाइल निर्यात पर एक बड़ा प्रभाव
मेक्सिको भारत के लिए तीसरा सबसे बड़ा कार निर्यात बाजार है। इधर, भारत करीब 1 अरब डॉलर (करीब 8,500 करोड़ रुपये) की कारें और पार्ट्स निर्यात करता है। फॉक्सवैगन, हुंडई, निसान और मारुति सुजुकी जैसी प्रमुख कंपनियां प्रभावित होंगी। कारों पर टैरिफ 20 फीसदी से 50 फीसदी तक बढ़ जाएगा. भारतीय अधिकारी ने कहा, भारत मेक्सिको के साथ अपनी साझेदारी को महत्व देता है और दोनों देशों के व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लाभ के लिए एक स्थिर और संतुलित व्यापार माहौल बनाने के लिए मिलकर काम करने के लिए तैयार है।