दुनिया: रूसी तेल पर ठंडा पड़ सकता है अमेरिका का रुख, अब भारत को होगा ये फायदा!

Neha Gupta
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पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हालिया चर्चा ने लंबे समय से रुके हुए भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं। दोनों नेताओं के बीच बातचीत से न सिर्फ सकारात्मक माहौल का पता चलता है, बल्कि यह भी पता चलता है कि दोनों देश लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों पर आगे बढ़ने के लिए गंभीरता से तैयार हैं। एक व्यापार समझौता महीनों से रुका हुआ है, लेकिन हालिया बातचीत और अमेरिकी अधिकारियों के बयानों से अब यह पहले से कहीं अधिक करीबी माना जा रहा है।

विशेषज्ञों का क्या कहना है?

विशेषज्ञों का कहना है कि पहला चरण सबसे महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इसमें भारत के लिए दो बेहद फायदेमंद बदलाव संभव हैं, पहला, रूसी तेल पर 25 प्रतिशत जुर्माना टैरिफ हटाया जा सकता है, और दूसरा, भारत अमेरिका के खिलाफ अपने जवाबी शुल्क को भी घटाकर लगभग 15-16 प्रतिशत कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह दोनों देशों के लिए बड़ी सफलता होगी और इस डील को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत आधार तैयार हो जाएगा.

एक दीर्घकालिक संबंध

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर कहा कि अपनी बातचीत के दौरान दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा की और व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, रक्षा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। इससे पता चलता है कि रिश्ता सिर्फ व्यापार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक व्यापक सहयोग की ओर बढ़ रहा है। हालाँकि, कुछ मुद्दे अभी भी चुनौतीपूर्ण हैं।

कृषि क्षेत्र में एक बड़ा विवाद

कृषि क्षेत्र विवाद का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है, खासकर अमेरिका की मांग है कि भारत डेयरी, मांस और पोल्ट्री उत्पादों के लिए उनके प्रमाणपत्र स्वीकार करे, जो भारत के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे हैं। डिजिटल व्यापार भी तनाव का एक प्रमुख स्रोत है, क्योंकि अमेरिका चाहता है कि भारत ई-कॉमर्स के लिए अपने नियमों में बड़े बदलाव करे और मार्केटप्लेस मॉडल से हटकर इन्वेंट्री-आधारित मॉडल की ओर बढ़े।

सफल और टिकाऊ हो सकता है

विशेषज्ञों के मुताबिक, भले ही यह समझौता पहले से कहीं ज्यादा करीबी लगता है, लेकिन यह तभी सफल और टिकाऊ हो सकता है, जब यह दोनों देशों के लिए निष्पक्ष और संतुलित रहेगा। भारत के वाणिज्य मंत्री ने भी यही राय व्यक्त की है. अब देखना यह है कि मोदी-ट्रंप के बीच यह सकारात्मक बातचीत आने वाले हफ्तों में डील की वास्तविक प्रगति में कितना बदलाव लाती है।

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