अमेरिकी प्रतिबंध रूसी तेल कंपनियां: यूरोपीय संघ ने तीन भारतीय कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध, जानिए क्यों?

Neha Gupta
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रूसी बैंकों, क्रिप्टो एक्सचेंजों और भारत और चीन की कुछ कंपनियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है।

सख्त आर्थिक प्रतिबंध

संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। रोसनेफ्ट और लुकोइल पर लगाए गए प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करना और यूक्रेन के साथ युद्ध के वित्तपोषण को प्रभावित करना है। अमेरिका के बाद अब यूरोपीय संघ ने भी रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को मंजूरी दे दी है। यूरोपीय संघ के देशों ने रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों के 19वें पैकेज को औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी।

पैकेज पर 19वां प्रतिबंध लागू

यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष काजा कैलास ने कहा कि यूरोपीय संघ ने रूस के खिलाफ अपना 19वां प्रतिबंध पैकेज लागू किया है। इसने रूसी बैंकों, क्रिप्टो एक्सचेंजों और भारत और चीन की कुछ कंपनियों पर भी मुकदमा चलाया। यूरोपीय संघ ने अस्थिरता फैलाने की उनकी कोशिशों पर लगाम लगाने के लिए रूसी राजनयिकों की आवाजाही पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। काजा कैलास ने कहा कि पुतिन के लिए अब आर्थिक रूप से इस युद्ध को जारी रखना कठिन होता जा रहा है।

45 नये संस्थानों की पहचान

यूरोपीय संघ की परिषद ने रूस की सैन्य और औद्योगिक क्षमताओं का समर्थन करने वाले 45 नए संस्थानों की पहचान की है। इनमें वे संगठन शामिल हैं जो रूस को निर्यात प्रतिबंधों से बचने में मदद कर रहे थे, विशेष रूप से सीएनसी मशीन टूल्स, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, ड्रोन और अन्य उन्नत प्रौद्योगिकी उपकरणों के क्षेत्र में। इन सभी संगठनों को अब दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और रक्षा प्रौद्योगिकी पर सख्त निर्यात प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। इन 45 संस्थानों में से 17 रूस के बाहर स्थित हैं, जिनमें 12 चीन में, 3 भारत में और 2 थाईलैंड में हैं।

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